24-Jun-2023, Saturday
Sarve Bhavantu Sukhinaḥ
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ADITYA L1
आदित्य L1 अब तक 9.2 लाख किमी की दूरी तय कर चुका है और सन प्वॉइन्ट L1 को तलाश रहा है. आदित्य L1 ने पृथ्वी के प्रभाव वाले क्षेत्र से सफलतापूर्वक यह दूरी तय की है.
नयी दिल्ली: भारत के विक्रम साराभाई ने सतीश धवन, एपीजे अब्दुल कलाम जैसे वैज्ञानिकों को लेकर एक चर्च से रॉकेट बनाने का सफर शुरू किया गया था और इसरो मंगलयान यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन के साथ सोवियत रूस, नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के बराबरी पर आ गया.
प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू, विक्रम साराभाई के सपनों को साकार करते हुए इसरो अंतरिक्ष में सफलता की रोज नई इबारत लिख रहा है. शनिवार को इसरो ने अपने X हैंडल से ISRO ने अपने सूर्य मिशन आदित्य L1 को लेकर बड़ा अपडेट दिया है.
इसरो ने बताया कि आदित्य L1 अब तक 9.2 लाख किमी की दूरी तय कर चुका है और सन प्वॉइन्ट L1 को तलाश रहा है. आदित्य L1 ने पृथ्वी के प्रभाव वाले क्षेत्र से सफलतापूर्वक इस दूरी को तय किया है. इसरो पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र के बाहर लगातार दूसरी बार अंतरिक्ष यान भेजने में सफल हुआ है. पहली बार मार्स ऑर्बिटर मिशन (मंगलयान) ऐसा था जिसे पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर भेजा जा सका था.
लैरेंज पॉइंट वन तक बढ़ चुका है आदित्य एल-1
गौरतलब है कि 19 सितंबर को सामने आए अपडेट के मुताबिक, आदित्य-L1 (Aditya-L1) सूर्य मिशन धरती और सूरज के बीच मौजूद लैरेंज प्वाइंट 1 की तरफ बढ़ चुका था यानी उसका ट्रांस लैरेंजियन प्वाइंट 1 इंसर्शन (TLI1) किया जा चुका है. अब आदित्य को सिर्फ 110 दिनों तक अंतरिक्ष में यात्रा करते जाना है.
इसके बाद ही वह L1 प्वाइंट पर पहुंचेगा. इस पर मॉरीशस, बेंगलुरु के ISTRAC, श्रीहरिकोटा के SDSC-SHAR और पोर्ट ब्लेयर के इसरो सेंटर से निगरानी की गई थी. इससे पहले आदित्य ने अपनी तरफ से कुछ डेटा भेजा था. इसे STEPS यंत्र ने कलेक्ट किया था. इस यंत्र ने सुपरथर्मल-एनर्जेटिक आयंस और इलेक्ट्रॉन्स को 50 हजार किलोमीटर दूर से स्टडी करना शुरू कर दिया है. इससे वैज्ञानिकों स्टडी करेंगे कि ये कण धरती पर क्या असर डालते हैं.
फरवरी या मार्च में देगा सूरज की पहली तस्वीर
आदित्य-L1 से सूरज की पहली तस्वीर फरवरी या मार्च में मिलेगी. VELC को इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने बनाया है. इसरो के सूर्य मिशन में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा. L1 तक की यात्रा पूरी करने के बाद आदित्य के सारे पेलोड्स ऑन किए जाएंगे. आदित्य में लगे यंत्र एक्टिव हो जाएंगे और सूरज की स्टडी शुरू कर देंगे. लेकिन बीच-बीच में उनके सलामती की जांच के लिए उन्हें एक्टिव किया जा सकता है. यह देखने के लिए वो ठीक से काम कर रहे हैं या नहीं.
कौन-कौन से पेलोड्स जा रहे हैं आदित्य के साथ?
PAPA यानी प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य ... सूरज की गर्म हवाओं में मौजूद इलेक्ट्रॉन्स और भारी आयन की दिशाओं और उनकी स्टडी करेगा. इन हवाओं में मौजूद गर्मी का पता करेगा. साथ ही चार्ज्ड कणों यानी आयंस के वजन का भी पता करेगा. SUIT यानी सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप...यह एक अल्ट्रावायलेट टेलिस्कोप है. यह सूरज की अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ की तस्वीरे लेगा. साथ ही सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की तस्वीरें लेगा यानी नैरो और ब्रॉडबैंड इमेजिंग होगी.
2014 में मंगल मिशन को पहली बार में कामयाब करने और चंद्रयान—3 के जरिये 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा के साउथ पोल में मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला पहला देश बन गया. इसके बाद इसरो ने 2 सितंबर 2023 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से पीएसएलवी के जरिये आदित्य L1 लांच किया था.