24-Jun-2023, Saturday
Sarve Bhavantu Sukhinaḥ
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राजद्रोह कानून खत्म, आतंकवाद की परिभाषा पहली बार बताई गयी। IPC और CrPC के स्थान पर लाए गए कानूनों में सजा नहीं न्याय पर फोकस !
नयी दिल्ली: सरकार भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनयम (Indian Evidence Act) को बदलने जा रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को इन तीन कानूनों में बदलाव का बिल लोकसभा में पेश किया। आजादी के पहले बने ये कानून अब तक चल रहे हैं।
गृह मंत्री ने तीनों कानूनों को लेकर क्या कहा?
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से अपने उद्बोधन के दौरान देश के सामने पांच प्रण रखे थे। उनमें से एक प्रण था कि हम गुलामी की सभी निशानियों को समाप्त कर देंगे। आज मैं जो तीन विधेयक लेकर आया हूं, वो तीनों विधेयक मोदी जी द्वारा लिए गए प्रण में से एक प्रण का अनुपालन करने वाले हैं।’
गृह मंत्री ने कहा, 'इन तीन विधेयक में एक है इंडियन पीनल कोड, एक है क्रिमिनल प्रोसीजर कोड, तीसरा है इंडियन एविडेंस कोड। इंडियन पीनल कोड 1860 की जगह, अब 'भारतीय न्याय संहिता 2023' बनाई जाएगी। क्रिमिनल प्रोसीजर कोड की जगह 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023' प्रस्थापित होगा। और इंडियन एविडेंट एक्ट, 1872 की जगह 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' प्रस्थापित होगा।'
लोकसभा ने तीनों विधेयकों को संसद की स्थायी समिति के पास भेज दिया। इससे पहले अमित शाह ने बताया कि 18 राज्यों, छह केंद्र शासित प्रदेशों, भारत की सुप्रीम कोर्ट, 22 हाईकोर्ट, न्यायिक संस्थाओं, 142 सासंद और 270 विधायकों के अलावा जनता ने भी इन विधेयकों को लेकर सुझाव दिए हैं। चार साल तक इस पर काफी चर्चा हुई है। सरकार ने इस पर 158 बैठकें की हैं। विधेयक विभिन्न समिति की सिफारिशों से भी प्रभावित हैं।
किन-किन कानूनों में बदलाव होगा?
भारतीय दंड संहिता (IPC): भारतीय दंड संहिता 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता, 2023 जगह लेगी। यह आईपीसी के 22 प्रावधानों को निरस्त करेगी। इसके साथ ही नई संहिता में आईपीसी के 175 मौजूदा प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है और नौ नई धाराएं पेश की गईं हैं। भारतीय न्याय संहिता, 2023 में कुल 356 धाराएं हैं।
अपने भाषण के दौरान गृह मंत्री ने बताया कि यह विधेयक राजद्रोह के अपराध को पूरी तरह से निरस्त करता है। हालांकि, विधेयक में राज्य के विरुद्ध अपराध का प्रावधान है। विधेयक की धारा 150 भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों से सबंधित है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि विधेयक मॉब लिंचिंग के अपराध को दंडित करने का प्रावधान करता है और इसके लिए सात साल या आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है।
आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPc): दूसरा जो कानून बदलने जा रहा है वो आपराधिक प्रक्रिया संहिता यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड (सीआरपीसी) है। सीआरपीसी की जगह 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023' को प्रस्थापित किया जाएगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के जरिए सीआरपीसी के नौ प्रावधानों को निरस्त किया जाएगा। इसके अलावा विधेयक में सीआरपीसी के 107 प्रावधानों में बदलाव और नौ नए प्रावधान पेश करने को कहा गया है। विधेयक में कुल 533 धाराएं हैं।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (Indian Evidence Act): बदलने वाला तीसरा कानून भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 है। इसकी जगह भारतीय साक्ष्य विधेयक, 2023 लाया जाएगा। नया विधेयक साक्ष्य अधिनियम के पांच मौजूदा प्रावधानों को निरस्त करेगा। बिल में 23 प्रावधानों में बदलाव का प्रस्ताव है और एक नया प्रावधान पेश किया गया है। इसमें कुल 170 धाराएं हैं।
पहली बार आतंकवाद शब्द को परिभाषित किया
भारतीय न्याय संहिता के तहत पहली बार आतंकवाद शब्द को परिभाषित किया गया है जो IPC के तहत शामिल नहीं थाI गृहमंत्री ने कहा कि पहले आतंकवाद की कोई परिभाषा नहीं थीI पहली बार कानून के तहत आतंकवाद को परिभाषित किया गया हैI
मॉब लिंचिंग पर क्या है सजा का प्रावधान
नए विधेयक में मॉब लिंचिंग को हत्या की परिभाषा दी गयी है। जब 5 या 5 से अधिक लोगों का एक समूह एक साथ मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य आधार पर हत्या करता है, तब हर सदस्य को मौत या कारावास से दंडित किया जाएगा। इसमें न्यूनतम सजा 7 साल और अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही जुर्माना भी लगाया जाएगा।
बिल के अन्य खास प्रावधान
1- नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो। 2- जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजा जाना अनिवार्य होगा। 3- जिरह अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से की जाएगी। 4- यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। 5- सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास। 6- नाबालिग से बलात्कार की सजा में मौत की सजा शामिल है। 7- एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी। न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी। 8- आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा। 9- सुनवाई के समापन के बाद 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा। 10- फैसला सुनाए जाने के सात दिन के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा। 11- तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी। 12 - रेप के मामलों में न्यूनतम सज़ा पहले 7 साल थी, अब 10 साल कर दी गई हैI
13 - अप्राकृतिक यौन अपराध धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई हैI लिहाजा पुरुषों को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए अब कोई कानून नहीं है।