दो फांकों में बंटी है फ़ानी दुनिया
गाजियाबाद: अमेरिकी समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री थर्सटीन वेबलेन (1857-1929) का एक बहुत मशहूर बयान है कि ये फ़ानी दुनिया दो फांकों में बंटी है। इसमें एक तरफ हैं, रूपया कमाने एवं उससे प्रॉपर्टी बनाने वाले और दूसरी तरफ हैं उस प्रॉपर्टी को छीनने में दिमाग लगाने वाले। एक दुनिया कमाने में जिंदगी खपाती है तो दूसरी छीनने में। अमेरिकी प्रोफेसर वेबलेन साहब ने कहा कि छीनने वाले का कब्जा पहले से ही बैंक, अदालत, कारखानों पर है। वो कुछ काम नहीं करता और सारा दिमाग इसी बात में लगाता है कि कैसे कमाने वाले को और लूटा जाए और खुद ऐश की जिंदगी जी जाये। इसी लूटपाट के चक्कर में उसकी सारी जद्दोजहद संपत्ति कमाकर बनाने वालों से होती रहती है।
प्रोफेसर वेबलेन आगे ये भी कहते थे कि दुनिया में बदलाव की वजह है तकनीक यानी टेक्नोलॉजी। ये तकनीक ही वो बला है जो समाज में हमारे रहने के तौर तरीकों को नया बनाती है। लेकिन ये इतना आसान नहीं होता। दरअसल जो इंसानी चीजें हैं वो नहीं बदलती हैं या कम बदलती हैं लेकिन जो उसने खुद से बनाया है मसलन आदत, परंपरा..इन चीजों को टेक्नोलॉजी बदल देती है।
बेवलेन ने कहा कि बदलाव की बुनियाद, इस बात पर टिकी होती है कि उसका विरोध कितना तगड़ा है। समाज में एक तबका ऐसा है जो पुराने कायदे बनाए रखना चाहता है, जबकि दूसरा तबका चाहता है कि जिस नई तकनीक की इजाद हुई है उसको अमल में लाकर जिंदगी जीने का अंदाज बदला जाए।
इस अमेरिकी समाजशास्त्री और अर्थशास्त्री ने कहा कि इन दोनों तबकों में होने वाली जद्दोजहद ही आने वाले वक्त में हालात बदलती है। हकीकत में ये जद्दोजहद हमारे सामाजिक कायदे, ताने बाने और टेक्नोलॉजी के बीच होती है।
लेखक शोभित जायसवाल, पेशे से पत्रकार हैं.