बिजली में बसती है आत्मा!
लंदन: भारत या पाकिस्तान में लोड शेड्डिंग यानी कि बिजली की कटौती से सब परिचित हैं। मगर ब्रिटेन, यूरोप, अमरीका या कनाडा में जो पीढ़ी पचास वर्ष की हो चुकी है, उन्होंने कभी इसका अनुभव नहीं किया होगा। कोविड-19, रूस-यूक्रेन युद्ध और अब इज़राइल-हमास संघर्ष ने पूरे विश्व के हालात बदल डाले हैं।
मैं पहली बार लंदन एअर इंडिया के फ़्लाइट परसर के रूप में वर्ष 1978 में आया था। उसके बाद निरंतर ब्रिटेन, यूरोप, अमरीका, कनाडा, जापान, ऑस्ट्रेलिया आदि में जाने का अवसर मिलता रहा। 1998 में मैं लंदन में बसने के लिये आ गया। पिछले 45 वर्षों में मैंने स्वयं लोड-शेड्डिंग जैसा शब्द लंदन में नहीं सुना था। हां कभी-कभार तकनीकी ख़राबी हो सकती है मगर निरंतर ऐसी किसी प्रक्रिया का अनुभव नहीं हुआ।
हैरानी हुई जब हफ्ता दस दिन पहले ब्रिटेन के उप-प्रधानमंत्री ऑलीवर डाउडेन ने चेतावनी देते हुए कहा, “जनता को बिजली आपूर्ति में कटौती की स्थित में मोमबत्तियां, टॉर्च, और बैटरी से चलने वाले रेडियो घर में रखने चाहिये।… ब्रिटेन के निवासियों को व्यक्तिगत रूप से अधिक लचीला होना चाहिये। हमारे देश के लोग इंटरनेट द्वारा संचालित उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर रहते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि जनता को अपने व्यवसायों को भविष्य की महामारियों, प्राकृतिक आपदाओं और साइबर हमलों के लिये तैयार होने में सहायता करने के लिये एक राष्ट्रीय ‘रेज़िलिएंस अकादमी’ शुरू की जाएगी। ‘रेज़िलिएंस’ का अर्थ है लचीलापन। यानी कि हमें अपनी सुविधाओं पर आधारित आदतों को लचीला बनाना होगा। यदि बिजली में कटौती होगी तो हमारे बहुत से उपकरण तो काम ही नहीं कर पाएंगे।
विश्व के ऐसे दो आविष्कार हैं जिन्होंने इन्सान के जीवन को पूरी तरह से बदल दिया। पहला आविष्कार है पहिया। पहिये से पहले इन्सान या तो पैदल चलता था या फिर घोड़े या ऊंट पर। पहिये ने इन्सान के जीवन में गति पैदा की। पहिए के आविष्कार के कारण ही घोड़ागाड़ी, बैलगाड़ी, साइकिल, रिक्शा जैसे उपकरण बन पाए। कुएं से पानी निकालने वाली पुली भी पहिए पर ही आधारित थी तो कपड़े सीने की मशीन भी।
दूसरा सबसे बड़ा आविष्कार है बिजली। बिजली सच में एक जादुई आविष्कार है जो दिखाई नहीं देता मगर आत्मा की तरह हर जगह मौजूद रहती है। बिजली ने साइकल को मोटर साइकल और स्कूटर बना दिया। फिर कार बनी और विमान बना। हस्पताल के सभी उपकरण बिजली से चलते हैं। टीवी, रेडियो, कंप्यूटर, मोबाइल फ़ोन की आत्मा भी बिजली ही है। सोचिये यदि अचानक बिजली बननी बंद हो जाए तो क्या हम सैंकड़ों वर्ष पीछे नहीं चले जाएंगे।
ऑलीवर डाउडेन संभवतः इसी बारे में बात कह रहे थे कि अब ब्रिटेन निवासियो को भी निकट भविष्य में शायद ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़े जैसा कि विकासशील देशों को करना पड़ता है। उप-प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन के सामने निकट भविष्य में आपने वाली चुनौतियों के बारे में बात करते हुए यूक्रेन पर रूस के आक्रमण, साइबर हमलों, कोविड महामारी और कृत्रिम बुद्धिमता (आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस) के दुरुपयोग और पर्यावरण में बदलाव पर चिन्ता जताई।
ऑलीवर डाउडेन का वक्तव्य जैसे एक प्रकार की भविष्यवाणी ही साबित हुआ। सात दिसम्बर 2023 को लंदन की नई नवेली एलिज़ाबेथ लाइन में चार घंटों के लिये पावर कट हो गया। यात्री चार घंटे घुप्प अंधेरे में फंसे रहे। बहुत से यात्री तो गाड़ी छोड़ पैदल ही पटरी के साथ-साथ चलने लगे। याद रहे कि सर्दियों में लंदन में शाम चार बजे ही रात हो जाती है।
अंधेरे के साथ न जाने क्यों नकारात्मकता ही जुड़ी रहती है। हर धर्म में भूत, प्रेत, चुड़ैल, शैतान सबका रिश्ता अंधेरे से जुड़ा रहता है। शायद इसीलिये इन्सान के भीतर का शैतान भी अंधेरे का लाभ उठा कर तन कर खड़ा हो जाता है। कुछ ऐसा हुआ भी। 7 दिसंबर की शाम जब एलिज़ाबेथ लाइन की एक गाड़ी पावर कट के कारण फंस गई तो एक व्यक्ति ने अंधेरे का लाभ उठा कर एक युवती के साथ बदतमीज़ी करने का प्रयास किया।
अंधेरे के दौरान महिला के साथ हुए दुर्व्यवहार को लेकर एक यात्री ने कहा, “ट्रेन की लाइट बंद होने की वजह कुछ ऐसी घटना हुई जो हमें भीतर तक परेशान करती है। मुझे नहीं पता कि वह महिला कौन थी, लेकिन जब वह चिल्लाने लगी तब सबका ध्यान उसकी तरफ़ गया। वह कह रही थी, ‘ओ गॉड, तुम मुझे क्यों छू रहे हो।’ इसे सुनने के बाद ही महिला के बचाव में एक युवक आता है और कथित छेड़छाड़ को लेकर उस व्यक्ति से हाथापाई करने लगता है।”
सुकून की बात यह है कि अभी समाज पूरी तरह से मरा नहीं है। अभी भी किसी महिला के साथ अन्याय होते देख कोई सामने आकर चुनौती देने का साहस रखता है। ब्रिटिश ट्रांसपोर्ट पुलिस ने घटना की पुष्टि की और कहा कि एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, बाद में उन्हें आगे की पूछताछ होने तक रिहा कर दिया गया। एक प्रवक्ता ने कहा, ”7 दिसंबर को पैडिंगटन स्टेशन पर हुई घटना पर प्रतिक्रिया करते समय मौके पर मौजूद अधिकारियों को यौन उत्पीड़न की रिपोर्टों से अवगत कराया गया। बताया गया कि हमला एलिजाबेथ लाइन पर रात करीब 8.30 बजे हुआ। एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया और बाद में रिहा कर दिया गया। घटना से जुड़ी परिस्थितियों का पता लगाने के लिए पूछताछ जारी है।”
यह लंदन अंडरग्राउंड पर वहशी व्यवहार की पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी लंदन अंडरग्राउंड की पिकेडिली लाइन पर बाउण्ड्स ग्रीन स्टेशन पर वर्ष 2020 में एक दर्दनाक घटना घटित हु चुकी है। सुबह के पांच बजे रॉय जॉन्स्टन नामक व्यक्ति ने एक 20 वर्षीय युवती का ब्लातकार अन्य यात्रियों के सामने कर दिया। कोई उसे रोक नहीं पाया। एक फ़्रांसिसी महिला अपने 11 वर्ष के पुत्र के साथ उस ट्रेन में यात्रा कर रही थी। उस बच्चे ने भी ब्लात्कार होते देखा। यह व्यक्ति पहले चोरी के चक्कर में भी जेल की यात्रा कर चुका था। क्राउन कोर्ट ने इस अपराधी को नौ वर्ष की जेल की सज़ा सुनाई।
पावर कट में इन्सान की दरिंदगी का सबसे बड़ा उदाहरण 1977 में अमरीका के शहर न्युयॉर्क में महसूस किया गया। उन दिनों दक्षिण बुख़ानन बिजली स्टेशन पर हड़ताल चल रही थी। 13 और 14 जुलाई को बिजली की सप्लाई पूरी तरह से बाधित हो गई थी। ऐसे में इन्सान के भीतर का पशु पूरी तरह से सड़कों पर उतर आया था। डिपार्टमेंट स्टोर लूटे गये, आगज़नी की बहुत सी घटनाएं हुईं। मनुष्य की पाश्विक और हिंसात्मक प्रवृत्तियां पूरी तरह से उभर कर सामने आ गईं। न्युयॉर्क इस समय आर्थिक मंदी के हालात से जूझ रहा था और हर व्यक्ति उस चिलचिलाती जुलाई के गर्मी में अपने-अपने हिस्से की लूट इकट्ठी कर रहा था।
यह सोच कर हैरानी हो रही थी कि लुटेरों को भी लूटा जा रहा था। यदि किसी के हाथ टीवी लगा तो उससे अधिक ताकतवर लुटेरा उससे टीवी छीन कर अपने रास्ते हो लिया। कार शोरूम से कारें उठा ली गईं। कच्छे बनियान से लेकर बड़े ब्रैंड के सूट-बूट लूटे गये। औरतों ने मेकअप के सामान से घर भर लिये। नारी एक तरफ़ लुट रही थी तो दूसरी तरफ़ लूट भी रही थी। अंधेरा लूट-मार की ताकत होता है। न्युयॉर्क के ये दो दिन अमरीका की सोच पर कलंक का टीका थे।
इन्सान चाहे कितनी भी तरक्की क्यों न कर ले कहीं न कहीं उसके व्यक्तित्व में एक शैतान छिपा रहता है। जब तक बल्ब में विद्युत का संचार होता है और बिजली का उजाला फैला रहता है, भीतर का हिंसक पशु सोता रहता है। जहां रौशनी बाधित हुई, आत्मा मरने लगती है और शैतान हुंकार भर कर खड़ा हो जाता है और चारों ओर फैल जाता है हिंसा और अपराध!
लेखक — लंदन निवासी वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं.