मैक्सिको के ‘चर्च ऑफ़ एंड टाइम’ के एक पादरी ने दाव

इक घर बसाऊंगा, जन्नत के प्लॉट पर

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04,अगस्त 2024, (अपडेटेड 04,अगस्त 2024 07:25 AM IST)
लंदन: मिर्ज़ा ग़ालिब यूं ही दावा करते रहे कि उन्हें जन्नत की हक़ीकत मालूम है। उनके हिसाब से तो, “दिल के ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है!” हिन्दी कवि शैलेन्द्र भी चुनौती देते रहे कि “अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!”
दरअसल इस सप्ताह तीन ऐसी ख़बरें सुनने को मिलीं कि मन में बहुत से सवाल उठने शुरू हो गये। पहली ख़बर मिली कि दक्षिण अफ़्रीका में लगभाग तीस लाख साल पुराने नरकंकाल मिले हैं जिन्हें सही ढंग से दफ़नाया गया था। यानी कि तीस लाख साल पहले भी दफ़ानाने कि विधि प्रचलित थी। ये कंकाल वर्तमान मानव से कद में थोड़े छोटे हैं।

मगर मेरे मन में एक और सवाल उठा वर्तमान आसमानी किताबें तो केवल तीन हज़ार साल पुरानी हैं। और हिन्दू भगवान भी तीस लाख साल पुराना तो नहीं ही है। तो उस समय का भगवान कैसा होता होगा! क्या उस काल के मानव ने अपने भगवान का निर्माण किया था या नहीं। वो कैसे जीता था.. क्या पूजा अर्चना करता था? क्या इस मानव के यहां भी जन्नत या जहुन्नम होते थे… क्या उनके स्वर्ग और नरक के यही नाम थे या कुछ और…

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दूसरी ख़बर आई हाथरस से… दरअसल सूरजपाल जाटव नामक पूर्व पुलिस कॉन्स्टेबल ने नौकरी छोड़कर भगवान बेचने का नया रास्ता अपनाया और देखते-देखते अपने लाखों भक्त भी बना लिए। अब उसका नाम भी नया था – नारायण साकार हरि। इस कथावाचक को लोग भोले बाबा और विश्व हरि के नाम से भी जानते हैं। दलित समाज से आने वाले इस बाबा के माध्यम से परमात्मा तक पहुंचने वाले भक्तों में अधिकांश दलित या ओबीसी समाज से हैं। छेड़खानी के जुर्म में सूरजपाल को सज़ा हो गई थी। वह जेल में रहा और जेल से निकलने के बाद लोगों को स्वर्ग की राह दिखाने लगा।  
बाबा के सत्संग में भगदड़ मची और 121 लोगों की मृत्यु हो गई। मृतकों में सौ से अधिक महिलाएं और छ: बच्चे भी शामिल हैं। भगवान का तीसरा मामला सबसे अधिक मज़ेदार है और चुटकीला भी। हुआ कुछ यूं है कि मेक्सिको से एक मज़ेदार ख़बर आई है। वहां एक चर्च है जिसका नाम हैं ‘चर्च ऑफ़ एंड टाइम’। इसके एक पादरी ने दावा किया है कि उसने वर्ष 2017 में भगवान से बात की और भगवान ने उसे जन्नत में प्लॉट बेचने के लिये कहा है। 
मैक्सिको में यह चर्च चर्चा के केन्द्र में है। स्वर्ग में रहने के लिये प्लॉट बेच कर लाखों डॉलर कमाए जा चुके हैं। चर्च ने स्वर्ग की ज़मीन का एक ब्रोशर (स्मारिका) भी छपवाया है जिसमें स्वर्ग की एक काल्पनिक फ़ोटो भी लगाई गई है। इसमें बादल दिखाई दे रहे हैं; वहां एक घर भी बना हुआ है ;जिसके पीछे सुनहरी किरणें भी दिखाई देती हैं। फ़ोटो में चार लोगों का एक परिवार भी है। यह फ़ोटो इस सोच को भी नकारती है कि स्वर्ग में पैसे का लेनदेन नहीं होता। क्योकि इस फ़ोटो में वीज़ा, मास्टरकार्ड, जी-पे, एपल-पे के लोगो भी चिपकाए गये हैं। यानी कि आपको कैश देने की आवश्यकता नहीं है। चर्च का पादरी वैसे भी पैसों को छूना पसन्द नहीं करता… माया को भला क्या छूना ! इतना ही नहीं, इस पादरी ने भगवान के महल के पास खास जगह पर गारंटी से जगह द‍िलाने का भी वादा क‍िया है… बस उसके दाम कुछ अधिक होंगे। 

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@tallguytycoon नाम के इन्वेस्टर ने इंस्टाग्राम चर्च के इस बिज़नस पर वीडियो बना कर पोस्ट किया है। इस पोस्ट से पता चलता है कि मेक्सिको का यह चर्च ‘स्वर्ग’ में प्लॉटों की बिक्री की दर की शुरूआत सौ डॉलर (रु 8,345 /-) प्रति वर्ग मीटर से होगी। जितनी बढ़िया लोकेशन और साज-सज्जा, उतने ही अधिक दाम। प्लॉट ख़रीदने में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। जो भी चाहे किसी भी आकार का प्लॉट ख़रीद सकता है। 

धर्म चाहे कोई भी हो. हर धर्म में स्‍वर्ग और नरक की अपनी-अपनी परिभाषा है। हर मज़हब के धर्मगुरुओं से हमने हमेशा यही सुना है कि जो पाप करेगा वो नर्क में जाएगा और पुण्य करने वाला स्‍वर्ग में। मगर इस चर्च ने तो तमाम धार्मिक किताबों को धता बताते हुए एक नई आर्थिक थियोरी की स्थापना कर दी है कि प्लॉट ख़रीदने से स्वर्ग में स्थान पक्का है… कर्म चाहे कैसे भी क्यों न किये हों। बताया जा रहा है कि, कई लोगों ने चर्च पर भरोसा कर अपने मेहनत की मोटी रकम लुटा दी है।
ईसाइयत मामलों के विशेषज्ञों ने इस दावे पर संदेह जताया है और कहा है कि इस प्रकार के दावे अक्सर ईसाइयत के नाम पर धोखाधड़ी और अंधविश्वास फैलाने के लिए किए जाते हैं। वहीं, कुछ अनुयायियों ने पादरी के दावे को सही मानते हुए जमीन खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। कई लोग इसे एक आध्यात्मिक अनुभव मान रहे हैं जबकि अन्य इसे सिर्फ एक प्रचारात्मक चाल बता रहे हैं। प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इस दावे के पीछे कोई धोखाधड़ी या गलत उद्देश्य तो नहीं है।

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यह भी दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो वास्तव में एक व्यंग्य की तरह बनाया गया है. इसे मूल रूप से एक फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया था, जिसे हंसी-मजाक वाली चीजें शेयर करने के लिए जाना जाता है। तब से वीडियो को अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किया जा चुका है, जिसे लाखों लोग देख चुके हैं।

सवाल फिर वही खड़ा हो जाता है कि क्या हमें भगवान ने बनाया है या हमने भगवान को अपने रूप में गढ़ा है! हाथरस का हादसा स्पष्ट करता है कि परमात्मा के नाम पर धूर्त लोग कैसे अंधविश्वासी जनता को ठगते हैं… लूटते हैं। मक्का में भीषण गर्मी सो सैंकड़ों मर जाते हैं तो तीर्थयात्रा पर जाते हुए भक्तों को आतंकवादी गोलियों से भून देते हैं। स्वर्ग और नर्क का झांसा दे-देकर हज़ारों वर्षों से इन्सान को बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है। यदि इन्सान तीन लाख वर्ष पहले भी था तो उस समय का भगवान कौन था? यदि इन्सान को दफ़नाया जाता था तो क्या कोई धार्मिक विधि भी अपनाई जाती होगी? भगवान, स्वर्ग और नर्क कुछे ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हमेशा सवाल खड़े होते रहेंगे।

मिर्ज़ा ग़ालिब यूं ही दावा करते रहे कि उन्हें जन्नत की हक़ीकत मालूम है। उनके हिसाब से तो, “दिल के ख़ुश रखने को ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है!” हिन्दी कवि शैलेन्द्र भी चुनौती देते रहे कि “अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला ज़मीन पर!”
दरअसल इस सप्ताह तीन ऐसी ख़बरें सुनने को मिलीं कि मन में बहुत से सवाल उठने शुरू हो गये। पहली ख़बर मिली कि दक्षिण अफ़्रीका में लगभाग तीस लाख साल पुराने नरकंकाल मिले हैं जिन्हें सही ढंग से दफ़नाया गया था। यानी कि तीस लाख साल पहले भी दफ़ानाने कि विधि प्रचलित थी। ये कंकाल वर्तमान मानव से कद में थोड़े छोटे हैं।

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मगर मेरे मन में एक और सवाल उठा वर्तमान आसमानी किताबें तो केवल तीन हज़ार साल पुरानी हैं। और हिन्दू भगवान भी तीस लाख साल पुराना तो नहीं ही है। तो उस समय का भगवान कैसा होता होगा! क्या उस काल के मानव ने अपने भगवान का निर्माण किया था या नहीं। वो कैसे जीता था.. क्या पूजा अर्चना करता था? क्या इस मानव के यहां भी जन्नत या जहुन्नम होते थे… क्या उनके स्वर्ग और नरक के यही नाम थे या कुछ और…

दूसरी ख़बर आई हाथरस से… दरअसल सूरजपाल जाटव नामक पूर्व पुलिस कॉन्स्टेबल ने नौकरी छोड़कर भगवान बेचने का नया रास्ता अपनाया और देखते-देखते अपने लाखों भक्त भी बना लिए। अब उसका नाम भी नया था – नारायण साकार हरि। इस कथावाचक को लोग भोले बाबा और विश्व हरि के नाम से भी जानते हैं। दलित समाज से आने वाले इस बाबा के माध्यम से परमात्मा तक पहुंचने वाले भक्तों में अधिकांश दलित या ओबीसी समाज से हैं। छेड़खानी के जुर्म में सूरजपाल को सज़ा हो गई थी। वह जेल में रहा और जेल से निकलने के बाद लोगों को स्वर्ग की राह दिखाने लगा।  
बाबा के सत्संग में भगदड़ मची और 121 लोगों की मृत्यु हो गई। मृतकों में सौ से अधिक महिलाएं और छ: बच्चे भी शामिल हैं। भगवान का तीसरा मामला सबसे अधिक मज़ेदार है और चुटकीला भी। हुआ कुछ यूं है कि मेक्सिको से एक मज़ेदार ख़बर आई है। वहां एक चर्च है जिसका नाम हैं ‘चर्च ऑफ़ एंड टाइम’। इसके एक पादरी ने दावा किया है कि उसने वर्ष 2017 में भगवान से बात की और भगवान ने उसे जन्नत में प्लॉट बेचने के लिये कहा है। 
मैक्सिको में यह चर्च चर्चा के केन्द्र में है। स्वर्ग में रहने के लिये प्लॉट बेच कर लाखों डॉलर कमाए जा चुके हैं। चर्च ने स्वर्ग की ज़मीन का एक ब्रोशर (स्मारिका) भी छपवाया है जिसमें स्वर्ग की एक काल्पनिक फ़ोटो भी लगाई गई है। इसमें बादल दिखाई दे रहे हैं; वहां एक घर भी बना हुआ है ;जिसके पीछे सुनहरी किरणें भी दिखाई देती हैं। फ़ोटो में चार लोगों का एक परिवार भी है। यह फ़ोटो इस सोच को भी नकारती है कि स्वर्ग में पैसे का लेनदेन नहीं होता। क्योकि इस फ़ोटो में वीज़ा, मास्टरकार्ड, जी-पे, एपल-पे के लोगो भी चिपकाए गये हैं। यानी कि आपको कैश देने की आवश्यकता नहीं है। चर्च का पादरी वैसे भी पैसों को छूना पसन्द नहीं करता… माया को भला क्या छूना ! इतना ही नहीं, इस पादरी ने भगवान के महल के पास खास जगह पर गारंटी से जगह द‍िलाने का भी वादा क‍िया है… बस उसके दाम कुछ अधिक होंगे। 

@tallguytycoon नाम के इन्वेस्टर ने इंस्टाग्राम चर्च के इस बिज़नस पर वीडियो बना कर पोस्ट किया है। इस पोस्ट से पता चलता है कि मेक्सिको का यह चर्च ‘स्वर्ग’ में प्लॉटों की बिक्री की दर की शुरूआत सौ डॉलर (रु 8,345 /-) प्रति वर्ग मीटर से होगी। जितनी बढ़िया लोकेशन और साज-सज्जा, उतने ही अधिक दाम। प्लॉट ख़रीदने में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। जो भी चाहे किसी भी आकार का प्लॉट ख़रीद सकता है। 

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धर्म चाहे कोई भी हो. हर धर्म में स्‍वर्ग और नरक की अपनी-अपनी परिभाषा है। हर मज़हब के धर्मगुरुओं से हमने हमेशा यही सुना है कि जो पाप करेगा वो नर्क में जाएगा और पुण्य करने वाला स्‍वर्ग में। मगर इस चर्च ने तो तमाम धार्मिक किताबों को धता बताते हुए एक नई आर्थिक थियोरी की स्थापना कर दी है कि प्लॉट ख़रीदने से स्वर्ग में स्थान पक्का है… कर्म चाहे कैसे भी क्यों न किये हों। बताया जा रहा है कि, कई लोगों ने चर्च पर भरोसा कर अपने मेहनत की मोटी रकम लुटा दी है।
ईसाइयत मामलों के विशेषज्ञों ने इस दावे पर संदेह जताया है और कहा है कि इस प्रकार के दावे अक्सर ईसाइयत के नाम पर धोखाधड़ी और अंधविश्वास फैलाने के लिए किए जाते हैं। वहीं, कुछ अनुयायियों ने पादरी के दावे को सही मानते हुए जमीन खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। कई लोग इसे एक आध्यात्मिक अनुभव मान रहे हैं जबकि अन्य इसे सिर्फ एक प्रचारात्मक चाल बता रहे हैं। प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं इस दावे के पीछे कोई धोखाधड़ी या गलत उद्देश्य तो नहीं है।
यह भी दावा किया जा रहा है कि यह वीडियो वास्तव में एक व्यंग्य की तरह बनाया गया है. इसे मूल रूप से एक फेसबुक पेज पर पोस्ट किया गया था, जिसे हंसी-मजाक वाली चीजें शेयर करने के लिए जाना जाता है। तब से वीडियो को अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर शेयर किया जा चुका है, जिसे लाखों लोग देख चुके हैं।

सवाल फिर वही खड़ा हो जाता है कि क्या हमें भगवान ने बनाया है या हमने भगवान को अपने रूप में गढ़ा है! हाथरस का हादसा स्पष्ट करता है कि परमात्मा के नाम पर धूर्त लोग कैसे अंधविश्वासी जनता को ठगते हैं… लूटते हैं। मक्का में भीषण गर्मी सो सैंकड़ों मर जाते हैं तो तीर्थयात्रा पर जाते हुए भक्तों को आतंकवादी गोलियों से भून देते हैं। स्वर्ग और नर्क का झांसा दे-देकर हज़ारों वर्षों से इन्सान को बेवक़ूफ़ बनाया जा रहा है। यदि इन्सान तीन लाख वर्ष पहले भी था तो उस समय का भगवान कौन था? यदि इन्सान को दफ़नाया जाता था तो क्या कोई धार्मिक विधि भी अपनाई जाती होगी? भगवान, स्वर्ग और नर्क कुछे ऐसे मुद्दे हैं जिन पर हमेशा सवाल खड़े होते रहेंगे।

लेखक लंदन निवासी वरिष्ठ साहित्यकार, कथा यूके के महासचिव और पुरवाई के संपादक हैं.