डीडीसीए की आलोचना करते हुए गॉडफादर आफ स्पिन बिशन स

कोटला में अरूण जेटली की प्रतिमा बनाने पर क्या लिखा था बेदी ने

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24,अक्तूबर 2023, (अपडेटेड 24,अक्तूबर 2023 08:31 AM IST)

नई दिल्ली: फ़िरोज़ शाह कोटला मैदान पर भाजपा नेता और डीडीसीए के पूर्व अध्यक्ष दिवंगत अरुण जेटली की प्रतिमा का दिसंबर 2020 में गृहमत्री ने अमित शाह ने अनावरण किया था। इस बारे में जब निर्णय किया गया तब डीडीसीए की आलोचना करते हुए गॉडफादर आफ स्पिन बिशन सिंह बेदी ने कोटला के दर्शक स्टैंड से अपना नाम तुरंत हटाने के लिए कहा था। साथ ही बेदी ने डीडीसीए की अपनी सदस्यता भी त्याग दी थी।

डीडीसीए अध्यक्ष रोहन जेटली को लिखे पत्र में दिल्ली और जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) की कार्य प्रणाली पर हमला करते हुए बेदी ने आरोप लगाया था कि यह भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देता है और "प्रशासकों को क्रिकेटरों से आगे करता है।" बेदी ने कहा था कि जेटली मुख्य रूप से एक राजनेता थे, इसलिए संसद को "आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें याद रखने" की जरूरत है।

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स्टैंड ने नाम हटाने और सदस्यता त्याग दी थी

बेदी ने अरूण जेटली की प्रतिमा कोटला में लगाने का विरोध में डीडीसीए को लिखा था, “मैं अपने आप को अत्यधिक सहनशील और धैर्य वाला व्यक्ति होने पर गर्व करता हूं...लेकिन मुझे जिस चीज का डर है, वह खत्म होती जा रही है। डीडीसीए ने वास्तव में मेरी परीक्षा ली और मुझे यह कठोर कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया है...इसलिए मैं अध्यक्ष महोदय से अनुरोध करता हूं कि मेरे नाम पर बने स्टैंड से मेरा नाम तत्काल प्रभाव से हटा दिया जाए। इसके अलावा, मैं अपनी डीडीसीए सदस्यता भी त्यागता हूं।''

पत्र में आरोप लगाया गया था, ''कोटला में अरुण जेटली की प्रतिमा लगने के विचार से मैं बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हूं। फ़िरोज़ शाह कोटला का नाम जल्दबाजी में और सबसे अवांछनीय तरीके से अरुण जेटली के नाम पर रखे जाने के बाद मेरी प्रतिक्रिया यह थी कि कोटला को पवित्र बनाए रखने के लिए शायद किसी तरह से अच्छी भावना आ सकती है…मैं कितना गलत था। अब मुझे पता चला है कि कोटला में अरुण जेटली की एक प्रतिमा स्थापित की जाएगी।" 

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क्रिकेटिंग नेशन्स का दिया था उदाहरण

दूसरे देशों में महान क्रिकेटरों सम्मानित करने का उदाहरण देते हुए बेदी ने कहा था, “जो लोग वर्तमान में आपके आसपास हैं, वे आपको कभी नहीं बताएंगे कि लॉर्ड्स में डब्ल्यूजी ग्रेस, ओवल में सर जैक हॉब्स, एससीजी में सर डोनाल्ड ब्रैडमैन, बारबाडोस में सर गारफील्ड सोबर्स की प्रतिमाएं हैं। हाल में एमसीजी में शेन वार्न की प्रतिमा बनायी गयी है।...ये वे लोग है, जो अपने क्रिकेट स्टेडियम को क्रिकेट की भावना से सजाते हैं, कभी भी जगह से बाहर नहीं होते...खेल के मैदानों को खेल रोल मॉडल की जरूरत है। प्रशासकों की जगह उनके कांच के कैबिन में होती है।” 

बेदी के पत्र में कहा था “डीडीसीए इस विश्व की क्रिकेट संस्कृति को नहीं समझता है, इसलिए मुझे इससे बाहर निकलने की जरूरत है। मैं ऐसे स्टेडियम का हिस्सा नहीं बन सकता जिसकी प्राथमिकताएं बेहद गलत हैं और जहां प्रशासकों को क्रिकेटरों पर प्राथमिकता मिलती है। इसलिए कृपया तत्काल प्रभाव से मेरा नाम स्टैंड से हटा दें।"

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अरुण जेटली की कार्यशैली के प्रशंसक नहीं

क्रिकेट प्रशासन छोड़ने से पहले जेटली 1999 से 2013 तक 14 साल तक डीडीसीए के अध्यक्ष रहे। संस्था ने उनकी स्मृति का सम्मान करने के लिए कोटला में उनकी छह फुट की प्रतिमा स्थापित करने की योजना बनाई थी। इससे पहले डीडीसीए ने नवंबर 2017 में मोहिंदर अमरनाथ के साथ एक स्टैंड का नाम बिशन सिंह बेदी के नाम पर रखा था।

बेदी ने लिखा था कि वह कभी भी अरुण जेटली की कार्यशैली के प्रशंसक नहीं थे और हमेशा ऐसे किसी भी फैसले का विरोध करते थे, जिससे वह सहमत नहीं होते थे। इस बात से दुख होता है कि मौजूदा नेतृत्व भी ''प्रशंसा करने'' की संस्कृति का पालन कर रहा है। ''चापलूसों का भ्रष्ट दरबार अरुण जेटली ने अपने कार्यकाल के दौरान कोटला में इकट्ठा किया था।''

बेदी लिखा था, “मैंने यह निर्णय काफी सोच विचार के बाद लिया है। मुझे जो सम्मान दिया गया, मैं उसकी अवहेलना नहीं करना चाहता। लेकिन जैसा कि हम सभी जानते हैं कि सम्मान के साथ जिम्मेदारी भी आती है। पत्र में कहा गया था, ''जिस पूरे सम्मान और निष्ठा के साथ मैंने खेल खेला, उसके लिए उन्होंने मेरा सम्मान किया...और अब मैं उन्हें यह आश्वासन देने के लिए सम्मान लौटा रहा हूं कि मेरी सेवानिवृत्ति के चार दशक बाद भी मैं मूल्यों का पालन करता हूं।''

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जगजाहिर है मेरी आपत्ति

बेदी ने लिखा था, “डीडीसीए के रोजमर्रा के मामलों को चलाने के लिए जिन लोगों को चुना था, उनके बारे में मेरी आपत्ति जगजाहिर है। मुझे याद है कि मैं उनके आवास पर एक बैठक से बाहर निकल रहा था, जहां वह बेहद अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हुए एक उपद्रवी तत्व को बाहर करने में असमर्थ थे... मुझे लगता है कि मैं भी बहुत मजबूत था और एक भारतीय क्रिकेटर होने पर गर्व करता था कि मुझे इसमें शामिल किया गया।" 

पत्र में कहा गया था, “यह कोई तुलनात्मक मूल्यांकन नहीं है, बल्कि डीडीसीए में उनके कार्यकाल का तथ्यात्मक मूल्यांकन है। मेरा माना है कि विफलताओं का जश्न पट्टिकाओं और प्रतिमाओं के साथ मनाने की ज़रूरत नहीं है। उन्हें भूलने की जरूरत है।''