हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश ने मचाई तबाही
शिमला...देहरादून : हिमाचल प्रदेश में लगातार दूसरे दिन बड़ा भूस्खलन का हादसा हुआ। इस मानसून में अभी तक हिमाचल प्रदेश में 316 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं उत्तराखंड में नदियां खतरे के निशान तक पहुंच रही है। हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को कृष्णा नगर में भूस्खलन में नगर निगम के चार स्लाटर हाउस सहित आठ मकान ढह गए और कम से कम आठ लोगों की मौत हो गयी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि मलबे के नीचे कई लोगों के दबे होने की आशंका है। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंच गए गए और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया। अभी मृतकों की संख्या बढ़ने आशंका है।
हिन्दू मंदिर ढहा
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में भूस्खलन के कारण एक हिंदू मंदिर के ढह जाने से 9 लोग मरे। अधिकारियों को मलबे के नीचे और लोगों के फंसे होने की आशंका है। कई दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश की वजह से हिमालय में कई गाड़ियां बहने के साथ ही इमारतें ध्वस्त हो गईं हैं। इसके अलावा पुल भी नष्ट हो गए हैं।
जलवायु परिवर्तन से गंभीरता बढ़ी
बाढ़ और भूस्खलन भारत के मानसून के मौसम के दौरान बड़े पैमाने पर तबाही का कारण बनते हैं। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से गंभीरता को बढ़ा रही है। रविवार से अब तक हिमाचल प्रदेश में 50 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके साथ ही सड़कों, बिजली लाइनों और संचार नेटवर्क में व्यवधान के कारण हजारों लोग फंसे हुए हैं।
चार धाम यात्रा निरस्त
इधर, दूसरे पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में बारिश संबंधित हादसों में कम से कम पांच लोगों की मौत हो गयी और पहाड़ी नदियां लगातार खतरे के निशान के पास बह रही हैं। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों में मूसलाधार बारिश की संभावना है। भूस्खलन के कारण सड़कें बंद हो रही है।
राज्य सरकार ने चार धाम यात्रा को निरस्त कर दिया है और एसडीआरएफ :State Disaster Response Force: को बचाव कार्य में लगाया गया है।
अलकनंदा और मंदाकिनी उफान पर
सरकारी सूत्रों ने बताया कि अलकनंदा और मंदाकिनी नदियों ने रूद्रप्रयाग जिले को बुरी तरह से प्रभावित किया है। यह दोनों नदियां खतरे के निशान के करीब बह रही है। हरिद्वार में गंगा नदी खतरे के निशान से थोड़ा नीचे बह रही है। इन नदियों का कभी भी खतरे के निशान को पार करने की संभावना है।
सरकारी अधिकारियों ने बताया कि दोनों पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश के चलते कई शहरों में मकानों में दरारें आ गयी हैं। रहवासियों को खराब घरों को छोड़ने की अपील की जा रही है और पुनर्वास का इंतजाम किया जा रहा है।