गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल पर लगा पौने 37 लाख का जुर्माना, मरीज के इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप
गुरुग्राम : पूर्व विधायक राधे श्याम शर्मा की पत्नी के इलाज में लापरवाही बरतने के मामले की सुनवाई करते हुए जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम ने मेदांता अस्पताल के डॉक्टर पर करीब पौने 37 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है।
फोरम ने आदेशों में 25 लाख रुपए का जुर्माना लगाने के साथ ही इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा वसूले गए करीब सवा 10 लाख रुपए व केस का खर्च करीब 55,000 रुपए दिए जाने के आदेश दिए हैं। वहीं, मामले में जब मेदांता अस्पताल के एम. डी. डॉ. नरेश त्रेहान से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है।
क्या है पूरा मामला नारनौल निवासी पूर्व विधायक राधेश्याम शर्मा की पत्नी 71 वर्षीय बर्फी देवी को छाती में दर्द होने की शिकायत पर 28 फरवरी 2020 को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यहां डॉ. प्रवीण चंद्रा द्वारा उनकी पत्नी का इलाज किया गया। इसके बाद डॉ. नीरज गुप्ता और डॉ. नवीन गोयल समेत अन्य भी इलाज में शामिल हुए।
उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने जांच के उपरांत बताया कि उनकी पत्नी को हार्ट की दिक्कत है जो स्टंट डालने से ठीक हो जाएगी। स्टेंट डालने के बाद भी मरीज को राहत नहीं मिली। आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही से अस्पताल में भर्ती होने के 9 दिन बाद उनकी पत्नी की मौत हो गई। कई बार मरीज की गंभीर हालत होने पर medanta डॉक्टरों व अन्य स्टाफ ने इलाज में कोई गंभीरता नहीं दिखाई।
आरोप है कि मरीज को हार्ट की दिक्कत के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन बाद में उपचार को गैस्ट्रिक और किडनी सहित अन्य समस्याओं पर स्थानांतरित कर दिया गया। इस दौरान मरीज को गलत दवा दे दी गई थी जिस कारण 8 मार्च को उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। अस्पताल प्रबंधन ने उन्हें करीब 10 लाख 28 हजार रुपए का बिल दे दिया था जिसका उन्होंने भुगतान कर दिया। इसके बाद उन्होंने मामले को जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया।
यह कहा उपभोक्ता फोरम ने... जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष संजीव जिंदल और सदस्य ज्योति सिवाच व खुशविंदर कौर ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद आदेश दिए कि अस्पताल प्रबंधन मृतक के परिजनों से वसूले गए बिल को वापस करे। इसके साथ ही 25 लाख रुपए मुआवजा और केस पर आए 55 हजार रुपए का भुगतान करने के आदेश दिए। इसके साथ ही आदेश दिए कि यदि यह भुगतान 45 दिन में नहीं किया जाता तो आरोपी को 12 फीसदी ब्याज के साथ इस राशि का भुगतान करना होगा।